15.01.2023 my First blog
Hello Friends!
मैं एक स्टूडेंट हूं। मेरा नाम सुमन है।
Blogging पर आज मेरा पहला दिन है। मैं आज से इस प्लेटफार्म पर अपने ideas , अपनी thinking और अपनी स्टूडेंट लाइफ की दिनचर्या/जर्नी शेयर करने की शुरुआत करने जा रही हूं।
मैं एक स्टूडेंट हूं , और फिलहाल मैं सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही हूं। जैसा कि आपको पता ही होगा कि एक विद्यार्थी/ परीक्षार्थी की जिंदगी में कितने उतार चढ़ाव आते हैं। ऐसे ही उतार चढ़ाव मेरी स्टूडेंट लाइफ में भी आ रहे हैं;जिनसे होकर मुझे भी गुजरना पड़ रहा है।
सच कहूं तो ये जो जिंदगी है , बहुत ही मुश्किल और काटों से भरी हुई है। जब हम स्कूल लाइफ में होते हैं, तो हम सभी विद्यार्थियों के सिर पर क्लास टॉप करने या अच्छे अंक प्राप्त करने का बोझ सा बना रहता हैं।
कई बार ये बोझ बच्चों के पेरेंट्स ही डाल देते हैं।और कई बार बच्चा खुद ही उस बोझ को अपने ऊपर हावी कर लेता है; जिसके कारण उपयुक्त परिणाम नहीं आने पर विद्यार्थी अवसाद ग्रस्त होने लगता है।
मेरी स्टूडेंट जर्नी भी कुछ ऐसी ही रही है जहां एक ओर अच्छे अंक प्राप्त करने का दबाव हालांकि मेरे पेरेंट्स ने कभी दबाव नहीं बनाया परंतु मन में एक अजीब सा डर बनने लगा।
10th 1st डिवीजन और क्लास में 2nd टॉपर आने के बावजूद मन में एक कसक सी रह गई की क्लास टॉप करने चाहिए थी।
जैसा की हमारा एजुकेशन सिस्टम नई शिक्षा नीति 2020 से पहले 10+2+3 पर आधारित था और क्योंकि अभी नई शिक्षा नीति 2020 पूरी तरह से हमारे देश यानी भारत में लागू नहीं हुई है; तो अगली क्लास में एडमिशन लेने से पहले मुझे भी संकाय चुनना पड़ा और मेने विज्ञान संकाय जैसे की मेरे पेरेंट्स ने लेने की बात कही चुना।
10+2 भी 1st डिवीजन से पास होने के बाद मैं कॉलेज लाइफ में एंट्री कर रही थी हालांकि परिणाम मेरी उम्मीद के अनुकूल नहीं आया so रिजल्ट घोषित किया उस दिन बहुत रोई, मेरी आंखों से आसुओं की बारिश स्टार्ट हो गई। लेकिन रोने से कुछ होने वाला कहां था, so जब रोने से पेट भर गया तब ये सब्र किया की वो मेरा 10th वाला टॉपर इस बार अंको में मेरे से पीछे रह गया है। इसलिए दिल को थोड़ी राहत मिली की शायद मैने अपने पिछले क्लासमेट्स से ज्यादा मेहनत की है और आज मैं उनसे आगे निकल गई हूं।
मेरा ये सब लिखने का मतलब ये नहीं की मुझे मेरे क्लासमेट्स से जलन जैसी कुछ चीज थी बल्कि school life में यदि किसी बच्चे के अच्छे अंक आते हैं तो एक अलग ही खुशी होती हैं जिसको बयां नहीं किया जा सकता।
आज जब school के उन दिनों के बारे में सोचती हूं तो सच में बहुत हसीं आती हैं। काश ! कोई वो दिन फिर से लोटा दे..!
जैसे ही गर्ल्स कॉलेज में एडमिशन लिया अब होती हैं असली वाली जिंदगी की शुरुआत , कुछ समझ में नहीं आता था mam एक दो लेक्चरर लेकर चली जाती थी;वो भी हिंग्लिश में जिसमे इंग्लिश तो पूरे सिर के ऊपर से निकल जाया करती थी।
लेकिन क्या करे जैसे तैसे परीक्षाएं दी तो हमारे बैच की आधी लड़कियां एग्जाम में ही फेल हो गई। मेरी किस्मत अच्छी थी की मैं पास होने वाली लड़कियों में शामिल थी!
गिरते पड़ते ग्रेजुएशन भी हो गया और मुझे B.Sc की डिग्री मिल ही गई अब हम डिग्री धारी थे..!
उसके बाद जैसा की हमारे राजस्थान में चलन है लड़की को ग्रेजुएशन होने के बाद B.Ed का कोर्स करवा दो शादी होने पर घर और जॉब दोनो को संभाल लेगी वही मेरे साथ हुआ और वर्तमान में ........... ! आगे क्या हुआ ये Next Blog में पढ़ने को मिलेगा।
Thank you!
Translation English
Hi Friends!
I am a student. My name is Suman.
Today is my first day on blogging. From today I am going to start sharing my ideas, my thinking and my routine/journey of my student life on this platform.
I am a student, and currently I am preparing for government job. As you must know that there are many ups and downs in the life of a student/examinee. Similar ups and downs are coming in my student life as well; through which I also have to pass.
To be honest, this life is very difficult and full of thorns. When we are in the school life, the burden of topping the class or getting good marks remains on the head of all the students.
Many times this burden is put by the parents of the children. And many times the child himself dominates that burden; Due to which the student starts suffering from depression if the result is not suitable.
My student journey has also been similar where on the one hand the pressure of getting good marks though my parents never put pressure on me but a strange fear started forming in my mind.
Despite coming 1st division and 2nd topper in class 10th, there was a feeling in my mind that I should have topped the class.
As our education system was based on 10 + 2 + 3 before the new education policy 2020 and because the new education policy 2020 has not yet been fully implemented in our country i.e. India; So before taking admission in the next class, I also had to choose the stream and I chose science stream as told by my parents.
After passing 10+2 also with 1st division I was entering into college life however the result did not come as per my expectation so the result declared that day I cried a lot, tears started pouring from my eyes. But crying was not going to do anything, so when my stomach was full of crying, then I was patient that my 10th topper has lagged behind me in marks this time. So my heart is relieved that maybe I have worked harder than my previous classmates and today I have gone ahead of them.
I do not mean to write all this that I was jealous of my classmates, but if a child gets good marks in school life, then there is a different happiness which cannot be describe
Today, when I think about those school days, I really laugh a lot. Hopefully ! Someone please bring back those days.!
As soon as I took admission in girls college, real life starts now, I could not understand anything, mam used to go away with one or two lecturers; that too in Hinglish in which English used to go over the head.
But what to do, as we gave the exams, half the girls of our batch failed in the exam itself. I was lucky enough to be among the passing girls!
Graduation was also done while falling and I got B.Sc degree, now we were degree holders..!
After that, as is the practice in our Rajasthan, after graduation, get the girl to do B.Ed course, after marriage, she will take care of both house and job, same happened with me and at present........... ! What happened next will be read in the next blog.
Thank you!
आपको मेरा ब्लॉग कैसा लगा कॉमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।
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